Archive for the ‘Hindi Short Stories’ Category

मिट्टी की दीवारें

Wednesday, June 12th, 2019

स्त्री चार-दीवारी मे ही सुरक्षित है।वो चार -दीवारी मिट्टी की भी हो सकती है।

मोह के धागे

Thursday, February 28th, 2019

शानी का मन आज किसी भी करवट चैन नहीं पा रहा था। अम्भुज एक हफ्ते के लिए विदेश चले गए थे और राजू भी आज रात दोस्तों के पास रहने चला गया था। समस्या घिर आई कि घर में पसरे सन्नाटे को वो किस युक्ति से झेले? तो उसे याद आया कि वह कई बार […]

शब्दिकाएँ (२भाग)

Tuesday, October 30th, 2018

१… धूसर धूमिल धरा हुई धुँधला नील गगन हुआ कैसे टेरूं पी की गलियांं अँधियारे में बूझूं कैसे मन का ताप धुँधलाहट में सूझे न कोई राह ! * २… नि:शब्द सन्नाटे में मौन मुखर हो उठता है होंठ वरते हैं नीरवता आँखे ज़ुबान बन बतियाती हैं।। * ३… इक ख़्याल दिल लगाने को महफिलों […]

उजड़ी बस्ती

Thursday, October 18th, 2018

सब कुछ लुट जाने पर इंसान फिर भी ईश्वर के पास जाता है।

सतरंगी धूप

Wednesday, October 17th, 2018

सफलता पाने के लिए दृढ़-संकल्प होना आवश्यक है ।

अद्वितीय ‘अज’

Tuesday, October 16th, 2018

सुख-दु:ख से परे ‘अज’ से मिलने की ज़िंदगी की चाह !

मैंने उसको छुपा के…

Monday, October 1st, 2018

बेनाम सी गहरी उदासी जब घिरी दिल के क़रीब इक बर्क़ सी लहराई जहाँ हसीन लम्हे थे इस ज़िदगी में दर्द़ो-ग़म का भी अपना मुक़ाम था * मिले-जुले वक़्त से तारी थी ज़िंदगी लम्हा हसीन था इक,मैंने उसे छुपा के सबकी नज़रों से बचा के,इक गोशे में बरसों से थपकियां दे सुलाए रखा है * […]

अब कोई यदि मेरे पथ पर

Monday, September 17th, 2018

My Ego is part of me.I can not seperate it from my self.

प्रखर रश्मिरथी

Wednesday, August 15th, 2018

Bad weather does distruction to a ready crops of wheat but the sun saves it .

क्षणिकाएँ

Sunday, July 15th, 2018

कुछ लफ़्ज़ों को दी है दावत ग़ज़ल बुनने का ख़्याल लिए, ग़र लब कर बैठे बग़ावत तो ख़ामोशी से पी लेंगे नम आँखों में उतरे ख़्यालों को । क्योंकि, अश्कों की मय में डूबकर ही मुकम्मल होंगे ग़ज़ल के अशआर ।। * जज़्बात का आईना हैं ये आँखें दोस्ती की फितरत आँखों से सीख यारा, […]