Archive for January, 2017

लम्हों का छोर

Wednesday, January 18th, 2017

वक्त ने खो दिए वो लम्हे जो मेरे अपने थे जिन्हें संजोया था मैंने जिनमें मैंने चलने का उपक्रम किया कदम-कदम आगे बढ़ी कंकर-पत्थर चुभ-चुभ गये पावों के छाले रिसे अवरोधों पर अंकुश ना लगा नरम दूब की गुहार लगाते लम्हे तलाशते -फिरते रहे उम्र भर उन लम्हों का छोर ना मिला । वीणा विज […]

कैसी टूटन

Tuesday, January 17th, 2017

You can harm to me the maximum .But my inner self wil awake and will give me peace and bliss .Then there will be no hard feelings for you.