Archive for November, 2018

दरीचों से झाँकती धूप

Tuesday, November 27th, 2018

अर्थ:- तबूला रासा-खाली स्लेट ( Latin Phrase) हिन्दी में “मासूम मन:स्थिति ” *-*-*-*-*-*-*-*-*-*-*-* दरीचों से झाँकती धूप मन के दरीचों पर जब यादों की चाँदनी बिखरती है, तब एहसास की आँखों में इक रेशमी सोच निखरती है… सोच…! जो ख़्वाहिशों का विस्तृत फैलाव है बीते हुए लम्हों का सुलगता अलगाव है रोशनी की नदी है,दरीचों […]

स्व गुंजन नाद

Friday, November 9th, 2018

चूंकि शब्द धरा में गड़ पेड़ बन गए थे आज टहनियों के घर मेहमां हुए हैं फूल ।। यही फूलों का वंदनवार लिए पुन:आपके समक्ष हूँ। जिनमें एहसासों की अनुभूति गुंथी हुई है । जबकि कोई एहसास कभी सीधा छाती का द्वार खटखटाकर आता है फिर रगों में बहते लहू में घुलमिलकर अभिव्यक्त होता है […]