Archive for November, 2010

स्वागतम युवराज

Tuesday, November 16th, 2010

झरे फूल हर-सिंगार के बगिया ने ओढ़ ली चुनरिया आवतरित हुआ युवराज महक उठा घर-प्रांगण | नव-शिशु रुदन गूँजा भ्रमित भँवरा गुँजन भूला हर्षित हो चिड़ियाँ लगीं चहकने जुगनु जगमग लगे चमकने | पुरखों की परम्परा निभाना भाई बहनों का देना साथ सर्वदा जग में महके यूँ नाम तुम्हारा ज्यूँ ईशान में चमके ध्रुवतारा| आशीष […]

पत्थर खुदा बन गया !

Saturday, November 13th, 2010

उच्च हिम-शिखरों से हो अवतरित पर्वतांगों से खिलवाड़ कर कंकड- पत्थर को लेकर संग नदी इठलाती-बलखाती चली सागर से करने मिलन ! आपनों से टूटने धारा संग बहने का विद्रोह पत्थर का ,जल के दुलार ने भुलाया विछोह | बाल-सुलभ हठ को स्नेह-स्पर्श से बहा चली वो ! लुढ़क-लुढ़क कर वक्त की धार से जूझकर […]

परदेस मे दीवाली

Tuesday, November 2nd, 2010

घनघोर तिमिर अमावस का हुआ नेह दीप से ज्योतिर्मय स्वर्ण उल्लू वाहन लक्ष्मी का चाँदी के मूस पर गणपति सजे | परदेस में बसे इंडियंस के घर दीपावली का दिखावा जमकर मुस्काते,है अन्तर्मन व्याकुल स्वदेस की दिवाली को मन आकुल| चाँदी के थाल लडडुओं के सजे खानेवाला, लेनेवाला कोई नहीं बहुत याद आते मंदिर के […]