Archive for May, 2008

छल का जाल

Friday, May 23rd, 2008

łउउउर नभ के आंचल में डोलती नैय्या सी इक रंगीली पतंग मज़बूत  डोर से बँधी टिकी अपनों के हाथ में, नियंत्रण कर रहा होगा शातिर दिमाग इन सबसे अंजान कितने इत्मीनान से झेलती हवाओं का दबाव| महफूज़ है वह यही तसल्ली लिये जा रही है उसे अन्जानी ऊँचाईयों पर बेखौफ् होकर….. इल्म नहीं कि कटी […]