Archive for January 14th, 2008

कुछ कहो !

Monday, January 14th, 2008

इस ठहरी हुई ख़ामोशी में बेहद शोर है इन ख़ामोशियों को तोड़ कुछ कहो.. फ़ासले मुँह बाये जो हमारे बीच खड़े हैं इन्हें नज़दीकियों की ज़ुबां दे कुछ कहो.. इक-दूजे की कशिश नाक़ाम मन्ज़र है इस बेनाम सफ़र को मुकाम दे कुछ कहो.. सामने देख कर भी अनदेखा किए हम को रंज़िश ही सही,ज़माने को […]