Archive for October 27th, 2007

गुनगुनी धूप है

Saturday, October 27th, 2007

तकते रहे आसमाँ धूप के निशाँ पाने को कोहरे गिरे ख़ाक कर डाला दिवाने को शामों को भी सुल्गाया-ग़रमाया हमने धुंध के अँधेरों ने मसला परवाने को सुबह के साए बेख़बर थे अब तक हल्की ज़ुंबिश के बाद सँभल बैठे क़ाफ़िला बादलों का था दमबेदम क़तरा-क़तरा रोशनी को पी बैठे! तपिश पाने को आफ़ताब की […]