नव अभिनन्दन
Thursday, January 24th, 2008गए वर्ष की कग़ार पर खड़े राह तकते गुंजयमान हैं दसों दिशाएं नव अभिनन्दन को मानव-संस्कृति के आयाम अब रूप बदलेंगे सहस्त्रदल कमल राह में बिछेंगे शीशवन्दन को | वर्त्तमान प्रतिबिम्बित है आने वाले कल के चेहरे में आतंकित न हो कलिकाल के भयावह चेहरे से अकथनीय अनुभवों को संजो ले, शब्दों में न ढाल […]