मीत का संग
Thursday, January 17th, 2008रंगीली धूप गीत गुनगुना रही है खिलखिलाती फ़िज़ा मुस्कुरा रही है उनकी आमद से छाई है बहार छिटकी धूप में नहाई है मल्हार.. मेहंदी की महक ने जादू डाला लाली ने लाज पे डाका है डाला नील गगन का मुस्काता चंदा शोखियां बिखेरता माथे पे सजा… मीत के आते खनक उठे कंगन कसक उठे हैं […]