कैसे भूल गया तूं …?
Saturday, January 12th, 2008खुले आँगन के चारों कोने पीछे दालान के ऊँचे खम्बे छप्पर की गुमटी की ताँक-झाँक बेरी-इमली के खट्टे-मीठे स्वाद संग-संग तल्लैय्या में लगाना छलाँग नमक लगा चाटना इमली की फाँक जीभ चिढ़ाकर अपने पीछे भगाना पिट्ठू के खेल में हरदम हराना जेठ की दुपहरी में नँगे पाँव भागना रंग-बिरंगी चूड़ी के टुकड़े बटोरना आषाण के […]