अरमानों के गुच्छे
Wednesday, October 31st, 2007अरमानों के मधुर स्वप्न संजोए नव जीवन में मुस्काने बिखेरते | चहुँ ओर सजते हैं सपनों के फूल कोमल कलियाँ शूलों मे खिलते फूल| हर खूँटी पर टँगे अरमानो के गुच्छे इक-इक कर के खुलते ये मोहक गुच्छे | अरमान हों पूरे हर धड़कन की पुकार कुंडियाँ लग जातीं, मिलते न विचार | खुल भी […]