चुप्पी
Tuesday, October 30th, 2007चुप्पी, चहुँ ओर चुप्पी कि चुप्पी से घबरा जाती.. सरसराती हवा की साँय-साँय पेड़ों के झुरमुट से झींगुर की धुनें मन में संगीतमय ताल जगातीं पर–फिर चुप्पी से घबरा जाती..! छत खटखटाती बारिश की बूँदें परनाले से बह ठौर ढूँढतीं कहरवा की लय गूँजातीं पर–फिर चुप्पी से घबरा जाती..! कभी-कभार पंछियों का हिंडोला शोर मचाता […]