Archive for October 25th, 2007

साथ तुम्हारा

Thursday, October 25th, 2007

साथ तुम्हारा मेरे मन को भाता है ठंडी हवा के पहले झोंके सा तुम्हारा आना पहली बारिश की बूँदों सा सोंधी खुशबू फैलाना फिर, उमड़ते-घुमड़ते बादलों में पहली बिजली बनकर चमकना मुझ को प्रफुल्लित करता है….! बगिया के पहले पुष्प की महक सा मेरे मन को मोहना साँझ के धुँधलके में पहले स्पर्श सा तन […]

इताबे बेरुख़ी

Thursday, October 25th, 2007

कहने को तो हबीब थे मेरे पासबाँ भी तुम्ही थे सदा संग रूए-सहर देखी फिर भी दरमियां फ़ासले थे वहाँ.. हर लम्हा तन्हा ग़ुज़रा गुफ़्तगू ख़ामोशियों से की आँख भर देखा न कभी ख़लवते आलम था वहाँ.. लाख चाहा ज़हन में हो तुम्ही इक दूरी तुमने बनाई रखी दस्तूरे उल्फ़त निभाए न कभी गुज़ारिश यही […]