साथ तुम्हारा
Thursday, October 25th, 2007साथ तुम्हारा मेरे मन को भाता है ठंडी हवा के पहले झोंके सा तुम्हारा आना पहली बारिश की बूँदों सा सोंधी खुशबू फैलाना फिर, उमड़ते-घुमड़ते बादलों में पहली बिजली बनकर चमकना मुझ को प्रफुल्लित करता है….! बगिया के पहले पुष्प की महक सा मेरे मन को मोहना साँझ के धुँधलके में पहले स्पर्श सा तन […]