संकल्प सूरज। ( कविता)
Tuesday, May 25th, 2021आज के भगवान हमारे डॉक्टर हैं, अपने दिल में ठान कर जो कोरोना से लड़ाई लड़ रहे हैं।
आज के भगवान हमारे डॉक्टर हैं, अपने दिल में ठान कर जो कोरोना से लड़ाई लड़ रहे हैं।
मैं और मेरा मौन मैं और मेरा मौन जब सम्मुख होता जीवन मेरा इक- इक पन्ना उद्धृत होता प्रज्ञा चक्षु टोह कर भीतर प्रदीप्त होता शाश्वत रचना की नींव प्रतिपादित करता मैं और मेरा मौन—जब सम्मुख होता!! प्रकाश पुंज नैन द्वार से प्रविष्ट होता समय के कटिबद्ध आलोकित करता पिघलते हुए दर्द की परछाईं हटाता […]
Without opening the mouth you can read the language of Eyes.
जिंदगी के कष्टों को झेल कर हार नहीं मानना। हौंसले बुलंद करके अपनी हथेली पर सूरज उगा लेना चाहिए अर्थात पराई रोशनी के सहारे नहीं खोजने चाहिए।
प्रवासी भारतीय बनने का यह मतलब नहीं कि अपने संस्कार अपने देश के विचार सब भूल जाए। समय-समय पर तीन चौके का समय उसको चेतावनी देने आ जाता था। कभी अच्छी खबर लेकर तो कभी बुरी खबर लेकर। दुख सुख का संगम ही जीवन है।
झूठ के बल पर कोई बात सफल नहीं होती। जैसे रेत के ऊपर इमारत खड़ी नहीं हो सकती।
Trying to to find myself!
हर जाति और धर्म के लोग देश में रहते हैं।उन सब से देश सजा है जैसे एक क्यारी में तरह तरह के फूल होते हैं।
इंसानियत के दोहे।
कन्या भ्रूण की हत्या का श्राप गली को लग गया।
कन्या भ्रूण की हत्या नहीं होनी चाहिए।