अहम् का आवेग
Thursday, January 15th, 2009असीम आवेग से पानी में मार कर तलवार छोटे-छोटे टुकड़े बनते- बिगड़ते तितर- बितर जाते अपना अस्तित्व नकारते अखण्ड ब्रम्हांड में दारुण व्यथा सुनाते टुकड़ों में न बँट कर पंचभूत प्रकरेण बने रहते * * * अनहोनी प्रक्रियाएँ सत्य से परे भावनाएँ रौंदकर प्रताणना सहतीं यथार्थ के धरातल से परे पानी में चलातीं तलवारें * […]