Archive for the ‘Hindi Short Stories’ Category

लघु-कथा सुखद अनुभव

Sunday, October 14th, 2007

शाँपिंग करते हुए रेवा के हाथ एक छोटे से कश्मीरी कोट पर जाकर रुक गए |बिना कुछ कहे उसने वो खरीद लिया |उसके सुनहरे ख़्वाबों में एक नन्ही सी तस्वीर उभर आई थी |अपनी सोच पर उसे स्वयं से ही लाज आ रही थी |अभी तो वो रजत के साथ हनीमून पर कश्मीर घूमने आई […]

सहेली

Thursday, August 23rd, 2007

‘बीजी! ऐ मेरी पक्की सहेली ए शानी !” कहते हुए साशा ने अपनी दादी के गले में दोनो बाहें डालकर लाड़ किया|बीजी के कलेजे में सहस्त्र जल-धाराओं की ठंडक पड़ गई |उन्होंने भी उसे जोर की जफ्फी डाली|फिर शानी को पास बुलाकर उसके सिर पर भी प्यार से हाथ फेरा|”ऐ तां बड़ी सोंड़ी ए!”य़ह सुनते […]

बदलते रंग

Sunday, July 22nd, 2007

जीवन की साँझ करीब जान कर कमलनाथ भार्गव ने भी एक नीड़ का निर्माण करना चाहा|नौकरी में रहते ही सैक्टर आठ चंदीगढ में जमीन ले ली थी|अब उसी पर दोनों पंछियों ने नीढ बनवाना आरंभ किया|बहुत चाव से सुमित्रा भी पति के साथ लगी रहती व अपने मन के सारे अरमान पूरे कर रही थी| […]

मृग मरीचिका

Sunday, July 8th, 2007

ममता का आवेग उसके भीतर हिलोरे ले रहा था , जिसके फलस्वरूप वह सातवें आसमान पर विचर रही थी। अपने बेटे अभिनव एवम बहू अदा के पास वह पहली बार अमेरिका आ रही थी। बहू के नौंवा महीना चल रहा था। कभी भी डिलीवरी हो सकती थी। हमारे इंडिया में तो लिंग टेस्ट करवाना निषेध […]

अहम् को तिलांजली

Sunday, July 8th, 2007

हर बात पर बहस -हर चर्चा पर लडाई बस यही होता था , जब भी होता था देव और वन्या छोटी से छोटी बात पर भी बहसने के मुद्दे पर पहुंच ही जाते थे दोनो चाहते थे कि आपस में कोई टोपिक ना ही शुरू हो लेकिन पति-पत्नी ने आखिरकार रहना तो साथ ही था न !

आत्मगर्भिता

Thursday, June 9th, 2005

जीत की बिब्बी जोर-जोर से चीखे जा रही थी,”अरी!ओ जीतो जल्दी आ.देख सरदार जी को खांसी लगी है|भीतर से मुलहठी-मिसरी ले आ| अरी! पानी का गिलास भी लेती आइयो| नास पिट्टी सारा दिन खेल में लगी रहे है|” आगे…Aatmgarbhita-आत्मगर्भिता