कुछ शे’अर
Monday, October 1st, 2018बेवफाई की इंतिहा की है नींद ने खुद सोती है मेरे बिस्तर पर हम उसकी राह तकते जगते रहते हैं रात भर।। *—-*— इक अश्क बेज़ार हो आँख से ढुलका दूजा पलकन की ओट में अटका किया शिद्दत थी दर्द़ की इस कद्र कि आँख की किरकिरी बना रह गया ।। * तसल्ली —– छिपाए […]