Archive for October 1st, 2018

मैंने उसको छुपा के…

Monday, October 1st, 2018

बेनाम सी गहरी उदासी जब घिरी दिल के क़रीब इक बर्क़ सी लहराई जहाँ हसीन लम्हे थे इस ज़िदगी में दर्द़ो-ग़म का भी अपना मुक़ाम था * मिले-जुले वक़्त से तारी थी ज़िंदगी लम्हा हसीन था इक,मैंने उसे छुपा के सबकी नज़रों से बचा के,इक गोशे में बरसों से थपकियां दे सुलाए रखा है * […]

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Monday, October 1st, 2018

बेवफाई की इंतिहा की है नींद ने खुद सोती है मेरे बिस्तर पर हम उसकी राह तकते जगते रहते हैं रात भर।। *—-*— इक अश्क बेज़ार हो आँख से ढुलका दूजा पलकन की ओट में अटका किया शिद्दत थी दर्द़ की इस कद्र कि आँख की किरकिरी बना रह गया ।। * तसल्ली —– छिपाए […]