Archive for September 26th, 2014

पर्वतों के पार

Friday, September 26th, 2014

पर्वतों के पार वादी में पहुँची शिथिल काया, भीगी हरियाली के दामन को हौले से थामा| हरी दूब तप्त-स्पर्श पा मुरझा न जाए, अंग-अंग में शीतलता भर सीने में समेटा| पर्वतों के आँचल में बिखरी बस्तियाँ, ज्यूँ झाड़ी में खिले फूलों से लदी टहनियाँ| नीचे तलहटी में फैली टेढी-मेढी गलियाँ, खिलखिलाते बाल-सुलभ बचपन की अठखेलियाँ| […]

प्रेम तुम्हारा

Friday, September 26th, 2014

खिलती मुस्काने तुम से हैं, जीवन मेरा है प्रेम तुम्हारा| प्रातः सन्ध्या सब सिमट गए हैं, मुँदे नयनों में बसा रूप तुम्हारा| चातक बन स्वाति नक्षत्र निहारूँ, चकोर बावरी चंदा को पुकारूँ| हर पल हर क्षण मैं यही विचारूँ, छवि तेरी निज हिय में उतारूँ| उमंगों की दीवानगी तुम से है, यौवन मेरा है प्रेम […]