टूटी उम्मीदें
Monday, September 22nd, 2014टूटी उम्मीदों का बोझ उठा सको तो जानो , रिसते छालों को बहता देखो तो जानो| जब कदम बढ़ते हैं आशा की किरणें ले, इक टीस जन्मती है संग ही बुझती लौ में| जीवन जीते हैं हम-तुम इक आस ले , नई सुबह की रोशनी में बुन सुनहरे सपने| बढते हैं कदम वर्त्तमान के थपेडे […]