Archive for September, 2014

sannato ke pahredar

Tuesday, September 30th, 2014

सन्नाटों के पहरेदार प्रथम संस्करण १९९९ प्रस्तुत है- द्वितीय संस्करण मन हर्षित है कि “सन्नाटों के पहरेदार” के पंद्रहवें वर्ष में पदार्पण पर इसका द्वितीय-संस्करण प्रस्तुत किया जा रहा है |१४ सितम्बर को हिंदी-दिवस के उपलक्ष्य में हिंदी-भाषा पर चार कविताएं,दो ग़ज़लें और दो अन्य कविताएं इनमें और डाल दी गई हैं |हिंदी भाषा के […]

पर्वतों के पार

Friday, September 26th, 2014

पर्वतों के पार वादी में पहुँची शिथिल काया, भीगी हरियाली के दामन को हौले से थामा| हरी दूब तप्त-स्पर्श पा मुरझा न जाए, अंग-अंग में शीतलता भर सीने में समेटा| पर्वतों के आँचल में बिखरी बस्तियाँ, ज्यूँ झाड़ी में खिले फूलों से लदी टहनियाँ| नीचे तलहटी में फैली टेढी-मेढी गलियाँ, खिलखिलाते बाल-सुलभ बचपन की अठखेलियाँ| […]

प्रेम तुम्हारा

Friday, September 26th, 2014

खिलती मुस्काने तुम से हैं, जीवन मेरा है प्रेम तुम्हारा| प्रातः सन्ध्या सब सिमट गए हैं, मुँदे नयनों में बसा रूप तुम्हारा| चातक बन स्वाति नक्षत्र निहारूँ, चकोर बावरी चंदा को पुकारूँ| हर पल हर क्षण मैं यही विचारूँ, छवि तेरी निज हिय में उतारूँ| उमंगों की दीवानगी तुम से है, यौवन मेरा है प्रेम […]

अन्ततः

Wednesday, September 24th, 2014

हे प्रिये! पीड़ाओं से व्यथित दुधिया चाँदनी मटमैली हो रही है- पिघलती हुई साँझ,रात की स्याही में गुम हो रही है- बाधाओं से घिरी बदरी की टुकड़ी काली हो रही है- आकाश-गंगा में नहाए ,तारों के झुरमुट अभी भी सूखे हैं- अपने ग्रहों की परिक्रमा करते चन्द्र थक सोने चले हैं- साँझ के झुटपुटे में […]

प्रकृति की कोख का बलात्कार

Wednesday, September 24th, 2014

चीत्कारों की गूँज से दिशाएँ गूँज रही हैं, लू लगती गरम हवाएँ शूल सी चुभ रही हैं| दूजे के घर की आग का सेंक तो था,मन जलता न था, अब अपनी कोख़ जली तो जलन का अंदाज़ा हुआ| धरोहर कोख़ की ले स्वयं पर गर्वित हो इतराती, बलात्कार उसी कोख़ का होने पर बेबस हो […]

मुस्कानें

Tuesday, September 23rd, 2014

Wants to make happy everyone in he world.

स्तुतिगान हुआ तब क्षण का

Tuesday, September 23rd, 2014

रसमय काव्य निरख, बहुचर्चित गीत गुँजा शान्त मन चंचल हो झंकृत हुआ नवयौवन राग सुना, भँवरे ने पराग चुना मनमीत बना प्रियतम प्रिय का स्तुतिगान हुआ तब क्षण का|| अंतरंग मिलन मधुरिमा फैली किरणों ने स्वर्णिम आभा हर ली उज्जवलित बनी चादर मटमैली अभयदान हुआ मृत्यु पल का स्तुतिगान हुआ तब क्षण का || क्षणभंगुर […]

टूटी उम्मीदें

Monday, September 22nd, 2014

टूटी उम्मीदों का बोझ उठा सको तो जानो , रिसते छालों को बहता देखो तो जानो| जब कदम बढ़ते हैं आशा की किरणें ले, इक टीस जन्मती है संग ही बुझती लौ में| जीवन जीते हैं हम-तुम इक आस ले , नई सुबह की रोशनी में बुन सुनहरे सपने| बढते हैं कदम वर्त्तमान के थपेडे […]

हिन्दी का स्वरूप

Tuesday, September 2nd, 2014

A very happy HINDI-DIVAS to all .What is Hindi language.The language is what type , it tells.