Archive for December 14th, 2008

बैसाखियाँ

Sunday, December 14th, 2008

आधी रात को डैडी जी को जो खाँसी लगी, तो बंद होने का नाम ही न ले| ममी जी घुटनों के दर्द से पीडित पास ही लेटी ,बस शोर ही मचाए जा रहीं थीं कि वे उठकर कफ़ सिरप ले लें या फिर मुलट्ठी-मिसरी ही मुँह में डाल लें |लेकिन खाँसी जो एक बार छिडी […]