Archive for September 18th, 2007

बादलों का झुरमुट

Tuesday, September 18th, 2007

सलेटी बादलों का झुरमुट भरकर लाया यादों का नीर कुछ चेहरे दिखेंगे छुटपुट बदरा बरसेंगे छाती को चीर उमड़ेगा अफ़सानों का सैलाब लाँघेगा साहिल की दरो-दीवार उमड़-घुमड़ करेगा चीत्कार हरे करेगा फिर दिल के घाव रिसते थे, पर चुप रहते थे यादों के बवंडर कचोटेंगे उन्हें फिर आँसू मचलेंगे आँख में घाव और ग़हरे होंगे […]