पूर्ण विराम

मिनी दुल्हन बनी फूलों की सेज पर बैठी घबराए जा रही थी |इन अमूल्य क्षणों में हर नई- नवेली दुल्हन जो कुछ सोचकर लाज से छुई- मुई हुई जाती है व हर आने वाले पल में उस सपनों के राजकुमार के कदमों की आहट की बाट जोहती है, जो आगे बढ़कर उसे अपनी बाहों में भरकर ;उसे जीवन की अमूल्य निधि से सरोबार कर देगा…..ऐसा किसी भी प्रकार का भावात्मक आंदोलन उसके अन्तर्मन में प्रस्फुटित नहीं हो रहा था |वो तो चाह रही थी कि वो पल वहीं ठहर जाए, समय की गति थम जाए व वो किसी घटनाक्रम का हिस्सा न बने |..आगे……पूर्ण विराम Poorn Viraam

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