मुस्काना
धैर्य के आँचल में करना आराम
ओ नीर भरे ऋग के बदरा
खोया नींद की आगोश में
जब जग करता विश्राम
दिल के दर्दों के श्रोत बहाना
रिसते छालों को न दिखलाना
आंधियारे का लेकर बहाना
नीर बहाना, पर मुस्काना |
वीना विज ‘उदित’
धैर्य के आँचल में करना आराम
ओ नीर भरे ऋग के बदरा
खोया नींद की आगोश में
जब जग करता विश्राम
दिल के दर्दों के श्रोत बहाना
रिसते छालों को न दिखलाना
आंधियारे का लेकर बहाना
नीर बहाना, पर मुस्काना |
वीना विज ‘उदित’