बादलों का झुरमुट
सलेटी बादलों का झुरमुट
भरकर लाया यादों का नीर
कुछ चेहरे दिखेंगे छुटपुट
बदरा बरसेंगे छाती को चीर
उमड़ेगा अफ़सानों का सैलाब
लाँघेगा साहिल की दरो-दीवार
उमड़-घुमड़ करेगा चीत्कार
हरे करेगा फिर दिल के घाव
रिसते थे, पर चुप रहते थे
यादों के बवंडर कचोटेंगे उन्हें
फिर आँसू मचलेंगे आँख में
घाव और ग़हरे होंगे चुपके से
ग़हरे ज़ख़्मों की पीर न दिलाओ
यादों का नीर लिए छितर जाओ
प्यासी चौखटों पर प्यार बरसा आओ
नीर बहा दिलों के घाव भर आओ
वीना विज ‘उदित’