Archive for the ‘Hindi Poetry’ Category

इंतहा-ए-दीवानगी (नज़्म )

Monday, July 25th, 2016

When someone is deeply in love with a person or a pure soul, he is passionate for it.

एक गरिमा भरो गीत में

Tuesday, September 29th, 2015

गीतिका मासूम कुम्हलाई हुई गीत संपुटित विहँस रहा नीरवता चहुँ ओर छाई हुई काव्य उदासित सहम रहा । दर्द भरी अंत:करण की गहराई मानव-तन दर्द से बिलख रहा असंतोष चिंता व्याप्त हर थाई काव्य तन से उजास मर रहा। उठो एक गरिमा भरो गीत में तृप्ति हो धरा से अंकुरित बीज में चहकता-फुदकता ज्यूं जीवित […]

सूरज का टुकड़ा

Tuesday, September 15th, 2015

मेरे बदन की दरो-दीवारों को छूता इक सूरज का टुकड़ा तिरस्कृत कर अन्धकार की काया आगे सरक-सरक जाता ठहरता, कभी बतियाता तो उसकी माया जान पाता बादलों से ऊँची मीनारों पे रहने वाला धरा के कण-कण को टटोले तो जाने उसके आलिंगन की प्यासी स्याह रात पाश में बद्ध गंवाती अपना आपा वक्त की परतों […]

हिंदी का संघर्ष

Thursday, June 25th, 2015

आज हिंदी को जो पद मिला है उसके लिए हिंदी भाषा ने कैसे संघर्ष किया ।

कश्मीर की पीड़ा

Friday, May 29th, 2015

The valley is crying due to flood.

अपने अपने शून्य

Friday, February 27th, 2015

http://veenavij.com/ अपने अपने शून्य अपने अपने शून्य स्वयं में समेटते अतीत के द्वार धकेल बढ़ते जाते छद्म चेहरों में अंत: छिपा विचरते उत्तरोत्तर बढ़ती परछाइयों से डरते । अन्धकार को बींध पार ताकते स्मित -पुष्प लता खिली देख हर्षते धवल चंद्र-रात्रि में अभिसार करने पुष्प लताओं.को बीनने स्वप्न निकलते । मन: प्राण पर जमी काई […]

इसलिए आओ हृदय में ।

Monday, February 16th, 2015

लोभ, मोह, माया से लालित क्षुद्र सीमाएं वक्र रेखा में होती उद्भासित निरन्तर शिथिल हो रही अंगयष्टि है बेचैन हे वरद हस्त कौशल -शिल्पी! शरण धरो । हृदय के अतल गह्वर का आत्मज्ञान विलीन हो अवरोधित हुआ निराधार कौसुम्भी धाराएं जो करतीं चलायमान , अवरोध हटा उनका मार्ग सरल करो । * अनुतापवश कांपते अधरों […]

धरा पे लिख दें हवा से कह.दें

Tuesday, January 20th, 2015

रिश्ते.कभी टूटा नहीं करते.

प्रिय कैसे रिझाऊं..?

Sunday, January 11th, 2015

Hpw to attract my beloved.

सृजनकार का वन्दन कर ले।

Tuesday, December 30th, 2014

Praise the lord.!