Archive for the ‘Hindi Poetry’ Category

पैमाने

Tuesday, August 14th, 2018

वक़्त के अजब हैं पैमाने लम्हों की अलग हैं गुज़ारिशें ! ज़िंदगी ने वक़्त ही कहाँ दिया बामुसलसल बढ़ रहीं हैं ख़्वाहिशें ! रेतीले ढूह की मानिंद सपनों के बिखर जाने की आवाज़ नहीं भीतर तक हिला देने वाली सर्द़ लकीर जिस्म के आर-पार चुभोती है तश्वीशें ! कैसे रिश्तों को समेटें अपने ही अक्स […]

अनपढ़ी किताब

Tuesday, August 14th, 2018

I am like unread book on your book shelf.Alas! you would have tried to touch and go through it.May be then you were satisfied from me.

यह चाह,यह प्रत्याशा

Wednesday, July 11th, 2018

Everything on earth wants some or the other thing .

ठूँठ

Sunday, October 29th, 2017

दरिया तीरे हरियाली अपार द्वीप के मध्य अकेला तना था ठूँठ । बाट जोहता था बसंती बयार फागुनी धूप की । सूखे थे सभी हरीतिमा लपेटे वृक्ष सर्द शरद में मृतप्रायः से। फूट पड़े सभी में नव अंकुर बसंत में लहलहाए धीरे-धीरे । अभागा ठूँठ ही रहा सूखा धूप ने सेंका बासंती झोंके लहराए मेघों […]

निःशब्द आहट

Friday, October 27th, 2017

निःशब्द आहट (कविता ) शैवालों से घिरा हृदय ऊहापोह में नैराश्य के भँवर में डोल रहा संवेदनाएं संघर्षरत उभरने को अन्तर् -आंदोलित मथित छटपटाहट -। आते हैं चले जाते हैं भाव-ज्वार हालात नहीं कलम उठा करूँ अभिव्यक्त कब मिला आसमां ज़मीं को मेरी अव्यक्त रहने की बोझिल उकताहट -। बो दिए हैं दरीचों में रिसते […]

अनूठा प्रतिकार 

Wednesday, October 25th, 2017

उर्वरा माटी थी बगिया की रोपी पनीरी फूलों की कोमल , नरम गोशे प्रस्फुटित खिलने को आतुर हर्षित गलबैंय्या हुलारते आ लिपटीं पाँव में कोई जड़ें थीं अजनबी अपनत्व देख हुईं अचम्भित हरीतिमा कोढ़ भरी थी खिली तन को थी बींध रही नुकीली हुलर-हुलर बढ़ रही नागफनी कुरूप देहयष्टि छलनी करती सहमी कोंपलें खिलने से […]

इक बार

Tuesday, May 23rd, 2017

इक बार मोहब्बत हमें भी ढूंढ्ते-ढूंढते नामो-पता, रहगुज़र पूछने आई | चोरी-छुपे ना जाने कब दिल में समा चैन-ऑ-अमन उडाया नींदें भी उडाईं | वाबिस्ता नैनों से दिल की धडकन बढ़ा चिंगारी लगा, प्रेम-अगन देखने आई | अल्साई ही थी चाँदनी मोगरे के फूल पे कि बैरी भँवरे ने गुंजन से निंदिया उडा़ई| पाटल खुलते […]

उनींदे ख्वाब

Thursday, May 18th, 2017

one can not get relieved from his past .It may be gud or bad .Even then there is a ray of hope, to get blissful sleep.

कैसी टूटन

Tuesday, January 17th, 2017

You can harm to me the maximum .But my inner self wil awake and will give me peace and bliss .Then there will be no hard feelings for you.

कराह रही दीवाली

Wednesday, October 26th, 2016

In foreign country you miss your religious and cultural functions.DIWALI is the main festival , when you remember your motherland ,and recall your childhood celebrations.It seems as your inner self is sobbing on that very day