Archive for the ‘Hindi Poetry’ Category

नवोदित बिन्दु

Sunday, April 27th, 2008

सृष्टि कलाकार के सृजनात्मक संलाप असंख्य रंग-बिरंगे नवोदित बिन्दु गढ़ते रूप धरते चलते-चलते कुछ free boost mobile ringtones | music ringtones | samsung ringtones | motorola q ringtones | ringtones for cingular phone | free funny voice ringtones | free mobile phone ringtones | listen mosquito ringtones | listen mosquito ringtones | listen mosquito ringtones […]

एक यत्न

Tuesday, March 4th, 2008

नित्य होता शब्दों का नृत्य ख़बरें उड़तीं, चर्चे होते मीडिया बेलगाम जपता आदम हव्वा के किस्से भौतिकता साँस लेती संवेदना लुप्त होती जाती शब्द शक्तिहीन सियाह कालिमा केवल चेहरे पर नाक नहीं हाथों में कलम छोटी हो गई अक्षरों का कद आदमकद से ऊपर उठ गया दिमागों की बत्ती गुल है लावारिस अक्षर सड़क किनारे […]

बसंत झुलना झुलाए

Saturday, March 1st, 2008

तंगदिल हुईं सर्द हवाएं मौसम ने ली अँगड़ाई इक इक क़तरा था सहमा ज़र्रे-ज़र्रे ने तपिश पाई… लिहाफ़ से ढ़ँकी सियाही धवल हुई खोल किवाड़ नन्हे पैरों की पैंजनिया छुन-छुन आँगन का सिंगार.. अब के बसंती पवन लाई कसमसाते तन में उभार आशिकों पे बरसाती पलाश फूल के मेघ-मल्हार.. आए पीली सरसों से लहरा के […]

विप्लव

Tuesday, February 5th, 2008

मानव नितचिन्तित, प्यार की बाट जोहता दग्ध हृदय, निर्दय विप्लव आज देखता आतंकवाद से बचने की करता पुकार विश्वशान्ति की नित करता गुहार..| लोलुपता, धर्मान्धता, कट्टरता घनेरी मर्यादाओं को लांघ चले स्वयं घर के प्रहरी घर, भवन, अट्टालिकाएं विध्वंस करते निर्ममता से जन को पीड़ित करते..| माँ के लाल, उजड़ी माँग के सुहाग बहना के […]

इक विश्वास

Thursday, January 31st, 2008

कल देर तक आँधी चली ढेरों बौर गिरे कच्ची अम्बियाँ भी गिरीं पेड़ के नीचे लाशों का ढेर लाशें उठवा ली गईं अँधेरा हटा, पवन थमा धूप की किरणें चमकीं लाशों को टोकरी में डाल ढेरों मसाले लगा ज्यूँ मिस्र की ममी पिरामिड में सहेजी अम्मा ने भी सहेजीं काँच के मर्तबान में मसाले लगा […]

धराशायी आत्मा

Tuesday, January 29th, 2008

फ़ीकी पड़ी शालीनता की शान राजनीति में लहूलुहान हुई नेता की आत्मा कूटनीति में बुलंद हौंसलों से चले थे ढोने देश का भार संकीर्ण संविधान के कानूनों ने दी करारी मार | स्पष्ट बहुमत न ले जब एक दल न सँभाले गद्दी प्रतिशत बढाने को एलायंस की मार सहे वही कैसे चले- फिरे, खाए रोटी […]

खिलने दो खुशबू पहचानो

Tuesday, January 29th, 2008

पँखुड़ियों को अनवरत जुड़ने दो उल्लासित कली बन सिहरने दो पवन मदमस्त हो पहुँचती होगी इक- इक पँखुड़ी का आलिंगन लेगी.. धीमे-धीमे आत्मसात हो इतराएगी समाते ही ख़ुशबू चुरा सुगंधित होगी कली रूप धर फूल का बाग़ महकाएगी जपा-फूल नैवेध देव-चरणों में चढाएगी.. डाली से मातृ-स्नेह का अल्प लय-क्षण विस्मित कौतुक जगाता निर्मल पल स्वतः […]

भगवा गुलाब इंडिया

Saturday, January 26th, 2008

दुनिया के इस चमन में ढेरों गुलाब बाग़बां ने जतन से तराशे हैं गुलाब काँटों के दामन में रह खिलते गुलाब रंग तो सभी हैं,पर महके हैं भगवे गुलाब | पीर-पैग़म्बर, संत थे इंडिया के सवाब दुनिया में जब भी हुए सवाले ख़ुदाब भगवे ने बुलंद हौसलों से दिए जवाब पूरी की अपनी सरज़मीं की […]

युगधर्मी

Saturday, January 26th, 2008

तूफ़ानी इरादे जब चट्टानों से टकराते हैं दुविधाएं लांघकर भी आगे बढ जाते हैं बुलंदियों की चाह कुछ सोचने नहीं देती मज़बूत इरादे स्वयं राहें बनाते हैं…… कुछ कर गुजरने की ललक मन में लिए संकल्प पूरा करने को सदा आतुर इरादे बुलंद किसके कहे बदलते हैं मार्ग-दर्शक बन कसौटी पर खरे उतरते हैं……. अनूठी […]

नव अभिनन्दन

Thursday, January 24th, 2008

गए वर्ष की कग़ार पर खड़े राह तकते गुंजयमान हैं दसों दिशाएं नव अभिनन्दन को मानव-संस्कृति के आयाम अब रूप बदलेंगे सहस्त्रदल कमल राह में बिछेंगे शीशवन्दन को | वर्त्तमान प्रतिबिम्बित है आने वाले कल के चेहरे में आतंकित न हो कलिकाल के भयावह चेहरे से अकथनीय अनुभवों को संजो ले, शब्दों में न ढाल […]