कोई अपना
मदमस्त बहती बयार की हल्की सी आहट से खिड़की के दोनो पल्ले पूरे खुल गए | भोर होने में अभी काफी देर थी | शांत व संयत बहती शीतल पवन के ताजे झोंके से डा. अवनि का क्लांत व थका चेहरा धीमे से मुस्कुरा उठा | आज पुनः बहुत कश्मकश के पश्चा वो एक नव प्राण को बचा पाई थी | सारे जतन के बावजूद उसे अन्त में सी सैक्शन कर के बच्चे को बचाना पड़ा | उसकी पूरी टीम जिस तरह उसके साथ जुट जाती है , वो इस बात पर स्वयं को भाग्यशाली मानती है | सफलता -प्राप्ति पर वो सब को शाबाशी देना कभी नहीं भूलती है | स्टाँफ इसी से सारी थकावट भूल जाता है और अवनि का साथ देने को सदैव तत्पर रहता है |
Veena Vij – Koi Apnaa