परदेस में दिवाली
सघनघोर तिमिर अमावस का
हुआ नेह दीप से ज्योतिर्मय
स्वर्ण उल्लू वाहन लक्ष्मी का
चाँदी के मूस पर गणपति सजे |
परदेस में बसे इंडियंस के घर
दीपावली का दिखावा जमकर
मुस्काते हैं , अन्तर्मन व्याकुल
स्वदेस की दिवाली को मन आकुल |
चाँदी के थाल लडडुओं के सजे
खानेवाला, लेनेवाला कोई नहीं
बहुत याद आते मंदिर के पंडितजी
चौकीदार, नौकर, बाई और भिखारी |
वो पटाखों, फुलझड़ियों की रात
आँगन में अनार, चकरियों की गूँज
ताश की महफ़िल बैठक के बीच
भरे-पूरे परिवार में आरती की गूँज |
मंगल करण गणपति देना वरदान
अपनी माटी , अपना देश न छूटे
त्यौहारों में भाई-बन्धु हों साथ
दीप से दीप जलें, पूरी हो मन की आस |||
वीणा विज ‘उदित’
April 14th, 2013 at 11:25 am
बहुत खोूब
August 18th, 2014 at 8:32 am
Very nice.