स्वागतम युवराज

झरे फूल हर-सिंगार के
बगिया ने ओढ़ ली चुनरिया
आवतरित हुआ युवराज
महक उठा घर-प्रांगण |
नव-शिशु रुदन गूँजा
भ्रमित भँवरा गुँजन भूला
हर्षित हो चिड़ियाँ लगीं चहकने
जुगनु जगमग लगे चमकने |
पुरखों की परम्परा निभाना
भाई बहनों का देना साथ सर्वदा
जग में महके यूँ नाम तुम्हारा
ज्यूँ ईशान में चमके ध्रुवतारा|
आशीष लिए–दादी ( वीणा विज)

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