हिम्मत कर
हिम्मत कर
वक़्त जो गुजर गया
मुड़कर उसे आवाज न दो
जो राह पीछे छूट गई
उस राह पर कभी न जाओ
हक़ीकत ख़्वाब से खूबसूरत नहीं
ख़्वाब को ख़्वाब ही रहने दो
मौका दोगे तो शिकायत होगी
शिकायत होगी तो दबा डालो
बुरी आदत है अतीत की
पुकारता रहता है पीछे से
आने वाला कल अजन्मा है
उठ हिम्मत कर उसे संवार
उम्मीदों का दामन थामे रखना
उम्मीदें संगदिल हो जाएँ तो
ज़ख़्मों का हिसाब रखती हैं
अपने हिस्से की धूप ले
दामन अँधेरों से बचाए रखना ।
वीणा विज ‘उदित’