स्वच्छता अभियान
ग्यान के झाड़ू से अग्यान बुहार कर
लेखनी ले हाथ सृजन कर डालो
कवित्व के कौशल की जला मशाल
स्वच्छता का मंत्र जन में भर डालो।
स्वच्छ स्वभाव में- गिला करे न कोई
न उलाहना,न ताना,न गाली-लड़ाई
प्यार,मोहब्बत, क्षमा-याचना, दया
नम्रता अलंकार करें हृदय सिंचाई ।
गंदी,भौंडी तस्वीरों की करें बहिष्कृति
दूषित करे जो संस्कारों की मनोवृति
स्वच्छ साहित्य करता समाज उत्कृष्ट
कलियाँ मसलने की दूर हो प्रवृति ।
मकड़ी रचे जाल पारदर्शिता निखार
प्रकृति-प्रदत्त हैं ये उच्चकोटि-संस्कार
स्वच्छ संविधान से हो राष्ट्र का उत्थान
संशोधन-अभियान से हो प्रगति अपार ।
आवास-योजनाओं में हुआ विलंब
घर होंगे तो तत्काल सुलभ स्वच्छन्द
गँवाए सत्तर-वर्ष स्वच्छता लाने में
स्वच्छता-अभियान करेगा देश स्वच्छ।।
वीणा विज’उदित’
पुनश्च:-पृष्ठ ७०..”स्वच्छता का दर्शन”में प्रकाशित
सम्पादक-विन्देश्वर पाठक, प्रभात प्रकाशन,दिल्ली,२०१७