सनम आओ
करवा चौथ की साँझ घिरने पर अपने प्रिय के लिए प्रियतमा की पुकार:-
मेरे अधरों पर
अपने होने की
दस्तक देकर
दृष्टि में भर
सुधाएँ प्रेम की
मुझे मदमस्त कर दो
काँत ! आओ…
उलझी लटों को संवार
माँग में भर
कली कचनार
अरुणिम लाली बिखेर
मुख अबीर
उल्लासित कर दो
जानेमन! आओ…
अनिल स्वर-लहरी पर
छेड़ो मेरे नाम
की सरगम
हथेलियों पर हिना उकेर
पी के रंग की
रंगत कर दो
बलमा! आओ…
नभ से तारों की बारात
मेरे दिल के
आँगन में उतार
प्रणय की उत्कट चाह में
मेरी माँग में
पलाश की दहक भर दो
सनम! आओ…।।
वीणा विज ‘उदित’