इक बार
इक बार मोहब्बत हमें भी ढूंढ्ते-ढूंढते
नामो-पता, रहगुज़र पूछने आई |
चोरी-छुपे ना जाने कब दिल में समा
चैन-ऑ-अमन उडाया नींदें भी उडाईं |
वाबिस्ता नैनों से दिल की धडकन बढ़ा
चिंगारी लगा, प्रेम-अगन देखने आई |
अल्साई ही थी चाँदनी मोगरे के फूल पे
कि बैरी भँवरे ने गुंजन से निंदिया उडा़ई|
पाटल खुलते ही आती जो बूँद ओस की
चुंबन देने लगी घूँघट खोल मस्त पुरवाई|
जहाँ की शोखियों,रंगीनियों ने किया बेबस
इश्क के दरिया में उतर डुबकी लगाई |
मालूम ना था बदस्तूर बेवफ़ाई होगी हासिल
चाक हुआ दामन,ज़ार-ज़ार रोए पाई रुसवाई |
मुर्शिद बना बिन जंजीरों के लिया बाँध
रब की शक्ल में हर सू दिया दिखाई |
पूछे जो कोई सौदे में क्या की कमाई
ता- उम्र का क़रार दामन में लपेट लाई ||
वीणा विज ‘उदित’