मूक क्रंदन ( कहानी)
Thursday, November 10th, 2022मीरा के भीतर का मूक क्रंदन आखिर मनोज ने सुन लिया और वह भी जीवन जी सकी, उसके विश्वास भरे आश्वासन पर।
मीरा के भीतर का मूक क्रंदन आखिर मनोज ने सुन लिया और वह भी जीवन जी सकी, उसके विश्वास भरे आश्वासन पर।
अकेलापन इंसान को खत्म कर देता है उसे लगता है मैगनोलिया के पेड़ की तरह मैं भी 12 मास खिला रहूं। उसकी बेटी उसको जीवन का मकसद देती है जिससे वह खिली रह सके।
जीवन में बहुत कुछ ऐसा भी होता है जो शेष होकर भी अशेष रह जाता है ,तब उस अधूरे को पूरा करते-करते ही इंसान जीवन निकाल देता है। क्योंकि वह उसे सुधार नहीं सकता।