मूक क्रंदन
Thursday, December 9th, 2021मूक क्रंदन (कहानी) “कुछ चाय वाय पी हो कि नहीं?-सुबह उठते ही रियाज़ करने बैठ जाती हो बिटिया! “ दद्दा के पूछने पर मेरे हाथ की उंगलियां सितार के तारों पर वहीं रुक गईं और उनकी लाड़ भरी परवाह मुझे अभीभूत कर गई। मैंने उनकी भावनाओं को समझते हुए कहा , ” हम […]