Archive for November 9th, 2018

स्व गुंजन नाद

Friday, November 9th, 2018

चूंकि शब्द धरा में गड़ पेड़ बन गए थे आज टहनियों के घर मेहमां हुए हैं फूल ।। यही फूलों का वंदनवार लिए पुन:आपके समक्ष हूँ। जिनमें एहसासों की अनुभूति गुंथी हुई है । जबकि कोई एहसास कभी सीधा छाती का द्वार खटखटाकर आता है फिर रगों में बहते लहू में घुलमिलकर अभिव्यक्त होता है […]