Archive for August, 2018

धरणी हुलसे

Thursday, August 16th, 2018

धरती पर हर प्राणधारी गर्मी से बेहद परेशान है।

सवालों से भरी कोंपलें

Wednesday, August 15th, 2018

हम अपने लिए कुछ न कुछ तलाशते ही रहते हैं । प्रकृति को देख कुछ नए प्रश्नों के उत्तर भी तलाशते हैं, जो ईश्वर की ओर ले जाते हैं हमें।

निमंत्रण न दो

Wednesday, August 15th, 2018

आशाऎं जगाकर निराशाऎं नहीं दो किसी को ।

प्रखर रश्मिरथी

Wednesday, August 15th, 2018

Bad weather does distruction to a ready crops of wheat but the sun saves it .

मधुर संग

Wednesday, August 15th, 2018

जिनके ख़्यालों में हर दम रहते हैं, उनके मधुर संग की कल्पना की प्रसन्नता है ….इस कविता में ।

पैमाने

Tuesday, August 14th, 2018

वक़्त के अजब हैं पैमाने लम्हों की अलग हैं गुज़ारिशें ! ज़िंदगी ने वक़्त ही कहाँ दिया बामुसलसल बढ़ रहीं हैं ख़्वाहिशें ! रेतीले ढूह की मानिंद सपनों के बिखर जाने की आवाज़ नहीं भीतर तक हिला देने वाली सर्द़ लकीर जिस्म के आर-पार चुभोती है तश्वीशें ! कैसे रिश्तों को समेटें अपने ही अक्स […]

अनपढ़ी किताब

Tuesday, August 14th, 2018

I am like unread book on your book shelf.Alas! you would have tried to touch and go through it.May be then you were satisfied from me.