Archive for July 15th, 2018

क्षणिकाएँ

Sunday, July 15th, 2018

कुछ लफ़्ज़ों को दी है दावत ग़ज़ल बुनने का ख़्याल लिए, ग़र लब कर बैठे बग़ावत तो ख़ामोशी से पी लेंगे नम आँखों में उतरे ख़्यालों को । क्योंकि, अश्कों की मय में डूबकर ही मुकम्मल होंगे ग़ज़ल के अशआर ।। * जज़्बात का आईना हैं ये आँखें दोस्ती की फितरत आँखों से सीख यारा, […]