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ठूँठ

Sunday, October 29th, 2017

दरिया तीरे हरियाली अपार द्वीप के मध्य अकेला तना था ठूँठ । बाट जोहता था बसंती बयार फागुनी धूप की । सूखे थे सभी हरीतिमा लपेटे वृक्ष सर्द शरद में मृतप्रायः से। फूट पड़े सभी में नव अंकुर बसंत में लहलहाए धीरे-धीरे । अभागा ठूँठ ही रहा सूखा धूप ने सेंका बासंती झोंके लहराए मेघों […]