Archive for July 12th, 2017

सिमटती आकृतियाँ

Wednesday, July 12th, 2017

भविष्य अजन्मा और अनन्त है जबकि अतीत सदा ही उपस्थिती दर्ज़ कराता है , रह-रह कर दस्तक देता रहता है | और जब वर्त्तमान नीरस और निराधार हो तो स्मृतियाँ भी लम्बे सफ़र तय कर सब की नज़रों से बचती-बचातीं अपने बदन का बोझा लाद देती हैं| आज कुछ ऐसे ही बोझ से देवी कराह […]