एक गरिमा भरो गीत में
Tuesday, September 29th, 2015गीतिका मासूम कुम्हलाई हुई गीत संपुटित विहँस रहा नीरवता चहुँ ओर छाई हुई काव्य उदासित सहम रहा । दर्द भरी अंत:करण की गहराई मानव-तन दर्द से बिलख रहा असंतोष चिंता व्याप्त हर थाई काव्य तन से उजास मर रहा। उठो एक गरिमा भरो गीत में तृप्ति हो धरा से अंकुरित बीज में चहकता-फुदकता ज्यूं जीवित […]