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अपने अपने शून्य

Friday, February 27th, 2015

http://veenavij.com/ अपने अपने शून्य अपने अपने शून्य स्वयं में समेटते अतीत के द्वार धकेल बढ़ते जाते छद्म चेहरों में अंत: छिपा विचरते उत्तरोत्तर बढ़ती परछाइयों से डरते । अन्धकार को बींध पार ताकते स्मित -पुष्प लता खिली देख हर्षते धवल चंद्र-रात्रि में अभिसार करने पुष्प लताओं.को बीनने स्वप्न निकलते । मन: प्राण पर जमी काई […]