सदके पे सवाब (लघु-कथा)
Sunday, February 15th, 2015जनाब बशीर अहमद साहब के परिवार में सबने रोज़ा रखा था | रमज़ान का पाक़ महीना था | हर सच्चा मुसलमान जो धर्म में आस्था रखता है , वो पूरे महीने भर रोज़े रखता है | बशीर भी वैसे ही थे | सुबह उनकी कार कोठी के गेट से जैसे ही बाहर निकलने लगी, वहाँ […]