कोई अपना
Friday, December 27th, 2013मदमस्त बहती बयार की हल्की सी आहट से खिड़की के दोनो पल्ले पूरे खुल गए | भोर होने में अभी काफी देर थी | शांत व संयत बहती शीतल पवन के ताजे झोंके से डा. अवनि का क्लांत व थका चेहरा धीमे से मुस्कुरा उठा | आज पुनः बहुत कश्मकश के पश्चा वो एक नव […]