सदके पे सवाब (लघु-कथा)
Thursday, August 2nd, 2012रमज़ान का पाक़ महीना था |जनाब बशीर अहमद साहब के परिवार में सब ने रोज़ा (व्रत) रखा था | हर सच्चा मुसलमान जो धर्म में आस्था रखता है वो पूरे महीने रोज़े रखता है | वे भी ऍसे ही थे | सुबह उनकी कार कोठी के गेट से जैसे ही बाहर निकलने लगी -वहाँ दो […]