हिन्दी पर कुछ कविताऍ —
Sunday, March 25th, 2012икона за подаръкहिन्दी निश्छल आत्मीयता आँचल में भर पल-पल प्रतिपल मुझमें समायी मेरी मातृभूमि हिन्दी की तरंगताल संवेदनाओं को अनुभूतियों में उकेरती | मौलिकता,सहजता,सरलता का शिल्प वैचारिक प्रतिबद्धताओं को देती विचार राष्ट्र्भाषा के उच्च पद पर आसीन हो समृद्ध बन अकण्ठ जीवन को देती विस्तार| मातृभूमि, मातृभाषा को नमन शत वार देस हो परदेस सदा […]