देश की क्यारी
Monday, August 15th, 2011свети минаПравославни икониचमन की बेतरतीब लुभावनी क्यारी दामन थामे बहार का खिलखिलाती ढेरों रंग-बिरंगे फूल इक साथ उगाती लगे, बागबान की मूढ़ बुद्धि दर्शाती नया जमाना, हर रंग चाहे अपनी क्यारी अस्तित्व की होड़ में टहनियाँ भिड़ जातीं अखंड़ भारत के गुल्शन में रहें सब साथ जात-पाँत की व्याधि ग़ार में ड़ुबाती छोटे-बड़े, अमीर-ग़रीब का […]